
आम के आम और गुठलियों के दाम। शासन की फलोद्यान योजना लघु सीमांत किसानों के लिए यही कहावत चरितार्थ करेगी। जिले के लघु सीमांत किसान अगर इस योजना में शामिल होते है तो उन्हें तीन साल में शासन ने लगभग सवा दो लाख रुपए का अनुदान मिलेगा। तीन साल बाद वृक्षों से फल मिलना शुरू हो जाएंगे। इनसे होने वाली कमाई पर पूरा हक किसान का ही होगा। कोरोना संकट में किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए प्रदेश शासन ने इस योजना को मनरेगा में शामिल कर दिया है।
कोरोना संकट के दौरा में किसानों को राहत देने के लिए प्रदेश शासन ने फलोद्यान स्कीम लांच की है। योजना के तहत किसान को एक एकड़ में 4 फलों की पौध लगानी होगी। किसान चाहे तो इसे अपने खेतों की मेड़ पर भी लगा सकते हैं। 1 एकड़ क्षेत्रफल के लिए किसान को 4 सौ फलों के पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे। पहली साल किसान को उद्यान लगाने के साथ उसकी देखरेख करने के एवज में मनरेगा के तहत 316 मानव दिवस की मजदूरी दी जाएगी। उद्यान की देखरेख में आने वाली सामग्री के लिए 35 हजार रुपए का अनुदान अलग से । तीन साल तक लगातार किसान को यह मिलता रहेगा।
कौन से फल के पेड़ लगा सकते हैं किसान, कर सकेंगे कमाई
किसान क्षेत्रीय फल मसलन पपीता, अनार, जामुन, मुनगा, अमरूद, संतरा सहित वह फल लगा सकते है जिनके लिए जिले का मौसम अनुकूल हैं। जो जिले में आसानी के साथ बेचे जा सकते है। योजना में ऐसे कृषक परिवार जिसकी मुखिया कोई महिला या दिव्यांग हो, को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अलावा योजना का लाभ बीपीएल कार्डधारी, इंदिरा आवास योजना के हितग्राही, अनुसूचित जाति, जनजाति के साथ लघु सीमांत किसान ले सकते हैं।
जनपद कार्यालय में करना होगा आवेदन: चूंकि योजना को मनरेगा से जोड़ कर शामिल किया गया है। इसलिए योजना में शामिल होने के लिए जो भी पात्र हितग्राही योजना में शामिल होना चाहते है, उन्हें अपने क्षेत्र के संबंधित जनपद कार्यालय में योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करना होगा।
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