
जहां कुछ लोग राशन और खाने-पीने की चीजों के लिए समाजसेवी संस्थाओं और प्रशासन पर निर्भर हैं वहीं कई लोग मेहनत की कमाई में ही विश्वास रखते हैं अब इसे या तो उन्हें पैसे की जरूरत समझें या स्वाभिमान। ऐसा ही मामला जिला रोपड़ के ब्लॉक मोरिंडा में देखने को मिला है जहां अधिकतर लोग जोकि रोजाना काम कर पैसे कमाते थे और घर का गुजारा करते थे, उन्होंने अब सब्जियां व फल बेचने का काम शुरू कर दिया है।
इससे उन्हें कुछ आमदन हो जाती है और वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं।
आपको बता दें कि कोरोना वायरस के चलते प्रदेश में लगे कर्फ्यू के कारण सभी लोग घर में ही बंद हैं। सभी का कामकाज बंद पड़ा है। हालांकि लोगों की जरूरतें पूरी करने के लिए प्रशासन द्वारा जहां राशन आदि के दुकानदारों को होम डिलीवरी करने के लिए कहा गया है। वहीं सब्जी और फल आदि बेचने वालों को भी छूट दी गई है। इसके चलते इलाके के अधिकतर लोग चाहे वह छोटे टैंपो चालक हों, मजदूर हों या कपड़े की फेरी लगाने वाले, सभी सब्जी या फल बेच रहे हैं।
शहर की करीब सभी गलियों में सिर्फ सब्जियां बेचने वाले ही दिखाई दे रहे हैं। अकसर देखने में आया है कि सब्जी, फल आदि खरीदते समय लोग सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल नहीं रख रहे जोकि हानिकारक साबित हो सकता है।
सब्जी और फल बेचने वाले से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि कर्फ्यू के कारण वह घर में बिना काम के बैठे थे।
जरूरी चीजें लेने के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है इसलिए इस समय उन्होंने सब्जी, फल आदि बेचने का काम शुरू किया है। इससे उन्हें इनकम हो जाती हैं और वह परिवार का पालन पोषण कर सकते हैं। इसी लिए कहा गया है कि रोटी हक दी खाईए जी, भावें बूट पालशां करीए।
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