रविवार, 12 अप्रैल 2020

देश में ऐसे हालात पहले कभी नहीं देखे, लोग घरों में कैद होने को मजबूर


विश्व के अधिकांश देश इस समय कोरोना वायरस की चपेट में हैं। भारत में 25 मार्च से लोग घरों में कैद है। कारण, संक्रमण से बचने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में 21 दिन का लॉकडाउन किया है। देश के इतिहास में पहली बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है, जब यातायात के सभी साधन बंद हैं। ट्रेन चल नहीं रही, बसों और ट्रकों के पहिए भी थमे हुए हैं। इसको लेकर भास्कर ने शहर के प्रबुद्धजनों से बातचीत की और पूछा कि क्या इससे पहले उन्होंने देश में कभी ऐसा दौर देखा जब लोगों को किसी बीमारी से बचने के लिए घरों में कैद होना पड़ा। सबने एक सुर में कहा कि देश में ऐसा हालात तो आजादी के पहले भी नहीं रहे। विभाजन के समय भी ट्रेन चल रहीं थी, युद्ध के समय भी लोग घरों से बाहर निकलते थे। कई बार देश में महामारी फैली लेकिन ऐसी स्थिति कभी नहीं रही कि लोगों को घर से निकलने में डर लग रहा हो।पढ़िए, शहर के प्रबुद्धजनों से बातचीत के मुख्य अंश.....

अनोखी, अनदेखी, अनसुनी बीमारी है, इससे लड़ाई में सोशल डिस्टेंसिंग सबसे बड़ा हथियार

30 और 40 के दशक में देश में प्लेग फैला था। पिताजी बताया करते थे कि उस समय अंग्रेजों ने शहर के शहर खाली करा दिए थे और खुली जगह में टेंट लगाकर लोगों के लिए रहने की व्यवस्था की थी। 50 से 60 के दशक में टायफायड, कोलेरा और डायरिया जैसे बीमारियों से कई लोगों की जान गई लेकिन उनका टीका होने के कारण स्थितियां बहुत ज्यादा नहीं बिगड़ी थी। यहां तक की युद्ध के दौरान भी बमबारी के डर से केवल रात्रि में घरों में लाइट नहीं जलाते थे। कर्फ्यू तो तब भी नहीं लगा था। लेकिन इस समय जो परिस्थितियां (देशभऱ में 21 दिन का लाकडाउन) हैं, वह लाइफ टाइम एक्सपीरियंस हैं। अनोखी, अनसुनी और अनदेखी बीमारी है। कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ाई में सोशल डिस्टेंसिंग ही सबसे बड़ा हथियार है।

-डाॅ. केएम बेलापुरकर (79), पूर्व प्रोफेसर आफ पीडियाट्रिक्स, जीआरएमसी

देश में पहले भी महामारी फैली थी लेकिन ऐसी स्थिति कभी भी देखने को नहीं मिली

सन 1945-46 में प्लेग फैला था। मैं उस समय देहरादून में था। लोगों ने घरों से बाहर निकलना काफी कम कर दिया था। बीमारी के कारण लोगों की मौतें हो रही थीं। यह स्थिति लगभग तीन चार महीने रही थी। कुछ ऐसी ही स्थिति उस समय देश के अन्य हिस्सों में भी थी। हालांकि, जैसी स्थिति अभी है, वैसी स्थिति कभी नहीं देखी। लोगों को 21 दिनों तक घरों में रहने के लिए कहा गया है। खुद सरकार,सावधानी बतौर लोगों से घरों में रहने के लिए कह रही है। हालांकि, मेरा ऐसा मानना है कि जब तापमान बढ़ेगा, तब कोरोना वायरस के संक्रमण का असर कम होगा। ऐसा भी सुनने में आ रहा है कि इस वायरस में म्यूटेशन (किसी की मूल अनुवांशिक संरचना में परिवर्तन करना) किया गया है। हालांकि यह शोध का विषय है।

-डाॅ. अजय शंकर (91), भूतपूर्व डीन, जीआरएमसी

ऐसा लगता है जैसे यह बीमारी मनुष्य द्वारा निर्मित की गई है

देश में पहले भी कई बार महामारी फैली, लेकिन ऐसी स्थिति न कभी देखी, न कभी सुनी। ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि इतनी लंबी अवधि के लिए बाजार बंद रहे हों। यहां तक की देश में जब 1975 में आपातकाल लगा था, उस समय भी देश के ऐसे हालात नहीं थे। इस समय तो बस, ट्रेन, प्लेन सब बंद हैं। मेरा यह मानना है कि मानवीय गलतियों के कारण वातावरण प्रदूषित हुआ है। ऐसा लगता है कि यह बीमारी जीवाणु से जनित नहीं हुई है। इस बीमारी को मनुष्य द्वारा निर्मित किया गया है। इसलिए यह अजब प्रकार की महामारी है।

-विश्वनाथ मित्तल (82), समाजसेवी
Never seen such situation in the country before, people forced to be imprisoned in homes




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