
इसमें वे परिवार भी शामिल हुए, जिनके परिजन रविवार को डिस्चार्ज होकर घर लौटे। इतिहासकार जफर अंसारी बताते हैं 1880 में इंदौर में म्युनिसिपालिटी का गठन हुआ, उस दौर में यहां टाटपट्टी बनती थी।
बाद में इसकी पहचान अदबी लोगों के मोहल्ले के रूप में बनी। 1900 के बाद यहां कई शायर, विद्वान, शिक्षक हुए, जिनका समाज में बड़ा नाम व सम्मान था। कपड़ा मिलों की शुरुआत के समय लखनऊ से सैकड़ों बुनकर इंदौर आए, उसमें भी कुछ टाटपट्टी बाखल में आकर बसे। पूरी रिपोर्ट पेज 2 पर फोटो | ओपी सोनी
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