
लॉकडाउन के चलते फार्मास्युटिकल सहित प्लास्टिक के उत्पाद बनाने वाली कंपनियाें में इंदाैर व अासपास से बड़ी संख्या में श्रमिक काम करने आ रहे हैं। इसके चलते पीथमपुर में भी काेराेना संक्रमण की आशंका काे ध्यान में रखते हुए विधायक नीना वर्मा ने कलेक्टर ने इंदाैर की सीमा से प्रवेश करने वाले कर्मचारियाें व अन्य की पीथमपुर में अावाजाही काे प्रतिबंधित करने व जाे कंपनियां नियम विरुद्ध संचालित हाे रही हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
यहां फार्मास्युटिकल के अलावा अन्य उत्पाद बनाने वाली कुछ कंपनियाें में बड़ी संख्या में श्रमिक आ रहे हैं। ये इंदौर से डेली अपडाउन करते हैं। इनमें अधिकांश श्रमिक प्लास्टिक लाइन, टैक्सटाइल्स व अन्य कंपनियाें में काम करने वाले शामिल हैं।
स्पेशल इकोनामिक जोन में 45 से अधिक फार्मास्युटिकल कंपनियां है और कई कंपनियां सेक्टर एक, दाे व तीन में हैं। इन सभी कंपनियों को चालू करने के निर्देश मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी कुमार पुरुषोत्तम और धार कलेक्टर की सहमति से दिए गए हैं।
इंदौर में कोरोना वायरस संक्रमिताें की संख्या काफी बढ़ रही है। इसके मद्देनजर विधायक वर्मा ने इसे गंभीरता से लेकर प्रतिबंध लगाने की मांग रखी है।
इसके अलावा जिन कंपनियों में अनावश्यक तरीके से श्रमिक आ रहे हैं या अनावश्यक तरीके से कंपनी चल रही हों, जांच कमेटी बनाकर उन कंपनियों को बंद किए जाने की बात भी कही है।
उन्हाेंने चिंता जताई कि पीथमपुर श्रमिक बहुल क्षेत्र है और किराए के कमरे में चार से पांच व्यक्ति रहते हैं। ऐसे में यदि बाहर से आने वालाें के माध्यम से वायरस फैल गया ताे समस्या बढ़ जाएगी, जिसे संभाल पाना मुश्किल हाे जाएगा।
इस बात पर संज्ञान लेते हुए कलेक्टर ने जिला उद्योग केंद्र काे कमेटी बनाने के लिए आदेश पारित किया है। यह कमेटी अपनी रिपोर्ट धार कलेक्टर को पेश करेगी, जिस पर कलेक्टर यह निर्णय लेंगे कि कौन सी कंपनी को चालू रखा जाए और कौन सी कंपनी को बंद किया जाए।
मुझे भी कमेटी में शामिल किया हाेगा : जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक सुनील त्रिपाठी ने कहा यह काम मूलतः लेबर डिपार्टमेंट का रहता है। अभी तक मेरे पास कोई लेटर आया नहीं है, लेकिन हो सकता है उस कमेटी में मुझे भी रखा हो। कमेटी बनने के बाद हम जांच करेंगे कि जिन-जिन कंपनियों ने चालू रखा है। उन्हें किस तरह आदेश दिया गया है।
जिला प्रशासन ने सूची मांगी है: लेबर ऑफिसर अरविंद सक्सेना ने बताया जिला प्रशासन की ओर से लिस्ट मांगी गई है कि कौनसी कंपनी को एमपीआईडीसी ने अनुमति दी है। करीब 75 ऐसी कंपनियां हैं, जिसमें अत्यधिक फार्मास्युटिकल है। उनकी लिस्ट मंगाई गई है किसे चालू रखना है या बंद यह निर्णय जिला दंडाधिकारी ही करेंगे।
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