
एनस्थीसिया की सैकंड इयर रेजीडेंट डा.अनिसा इसी हाॅस्पिटल के सर्जरी रेजीडेंट डा.साहिल मिढ़ा से शादी कर डा.अनिशा मिढ़ा बन गई। शादी की छुट्टी के बाद पति-पत्नी 19 फरवरी काे हाॅस्पिटल पहुंचे तक तक काेराेना का प्रकाेप चरम पर पहुंच चुका था। 22 काे जनता कर्फ्यू और लाॅक डाउन हाे गया। पीबीएम में सामान्य सर्जरी बंद कर दी और सारे डाक्टर्स काे काेराेना की राेकथाम-उपचार में लगा दिया। डा.अनिसा काे जिम्मा मिला, काेराेना पाॅजिटिव राेगियाें के अाईसीयू वार्ड में उन मरीजाें काे संभालना जिनकी स्थिति बहुत जटिल हाे सकती है और वेंटीलेटर के सहारे सांसें थामनी पड़ सकती है। बीकानेर के जेएनवी काॅलाेनी में रहने वाले परंपरागत पंजाबी परिवार में बात उठी कि सवा साल तक चूड़ा नहीं उतार सकते।
आईसीयू में ताे ऐसी जगह जहां काेई भी गहना नहीं पहन सकते। पति-पत्नी दाेनाें डाक्टर। दाेनाें ने परिवार वालाें काे समझाया।
संकट के समय की जरूरत बताई। जब तक पाॅजिटिव राेगी पीबीएम नहीं पहुंचे तब तक हर दिन घर से आना-जाना लगा रहा लेकिन ज्याेंहि एक अप्रैल काे चूरू से पाॅजिटिव राेगी रिपाेर्ट हुए, आना-जाना बंद। चूड़ा, मंगलसूत्र, शादी का जाेड़ा, गहने सब उतार अनिशा ने अाेढ ली पीपीई किट। एक अप्रैल काे जब से पाॅजिटिव राेगी आए हैं तब से वह हाॅस्पिटल में हैं। ड्यूटी के बाद एंबुलेंस उन्हें क्वारंटाइन स्पेस ले जाती है। वापस वहीं लाकर छाेड़ देती है। अब 10 दिन की ड्यूटी के बाद एक गैप ताे दिया है लेकिन काेराेना की जांच हुई है। रिपाेर्ट नेगेटिव आने पर भी अगले 14 दिन क्वारेंटाइन में रहना हाेगा। इसके बाद फिर से ड्यूटी शुरू हाे सकती है क्याेंकि एनस्थीसिया के स्पेशलिस्ट डाक्टर्स की बहुत कमी है। ये डाक्टर ही वेंटीलेटर का सपाेर्ट देने में सबसे एक्सपर्ट हाेते हैं। ऐसे में घरवालाें से सीधे कब मिल सकेंगे यह तय नहीं। बस, बातें हाेती है फाेन पर क्वारैंटाइन से।
जानिये कितनी हिम्मत का है यह फैसला..
जिस काेराेना के नाम से डर लगता है और घर में किसी काे भी हाेने का वहमभर हाे जाए ताे उसे दूर कर दिया जाता है। उससे मिलने तक जाना मानकाें के हिसाब से गलत है। उन काेराेना राेगियाें से भरे वार्ड में तब सेवा करना जब श्वांस लेने मे तकलीफ आरही हाे ताे उनके मुंह में हाथ डालकर,गले में नली डालकर वेंटीलेटर लगाने तक ठान लेना काेई अासान काम नहीं बल्कि बहुत हिम्मतभरा निर्णय हाेता है। यह जुदा बात है कि बीकानेर में अब तक जाे 25 राेगी पहुंचे हैं उनमें से किसी काे आईसीयू की जरूरत नहीं पड़ी है।
गर्व है कि मेरी पत्नी अनिशा ने बगैर एक पल साेचे अपने फर्ज काे पहले पायदान पर रखा। काेराेना पाॅजिटिव वार्ड के आस-पस से जहां लाेग गुजरने से घबराते हैं उसके अंदर रहते हुए लाेगाें की सेवा करने की ठानी। घरवाले डरे हुए थे, उसने ही उन्हें समझाया। जाे काम मैं करना चाहता था वह मेरी पत्नी कर रही है। -डा.साहिल मिढा, सर्जरी रेजीडेंट पीबीएम हाॅस्पिटल
शुरू में थाेड़ा डरी हुई थी लेकिन मन में यह तय था कि सेवा के इस काम से पीछे नहीं हटना है। परिवार, पति, सीनियर डाक्टर, साथियाें सहित सबने प्राेत्साहित किया। अब इस काम से काफी संतुष्टि मिल रही है। -डा.अनिशा मिढा, कोरोना आईसीयू
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