
आईजीआईएमएस में कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए पांच जगहों पर सेनेटाइजिंग टनल लगाया जाएगा। इसके लिए शनिवार को डीआरडीए को ऑर्डर दे दिया गया। इस पर 10 लाख रुपए खर्च होंगे। संस्थान के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि सेनेटाइजिंग टनल इमरजेंसी के मेन गेट, वार्ड के मेन गेट, डायग्नोस्टिक ब्लाॅक के मेन गेट और ओल्ड व न्यू एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लाॅक में लगाया जाएगा।
पुराने एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लाॅक के मेन गेट पर लगने से रजिस्ट्रेशन कराने वाले भी सेनेटाइज हो जाएंगे। ओपीडी अभी बंद है, इसलिए अभी वहां सेनेटाइजिंग टनल नहीं लगाया जाएगा। सेनेटाइजिंग टनल पूरी तरह से ऑटोमेटिक होगा। बाहर से आने वाला जो भी वहां से गुजरेगा वह पूरी तरह से सेनेटाइज हो जाएगा। डॉ. मंडल ने बताया कि सेनेटाइजिंग टनल की सुविधा बहाल की जा रही है क्योंकि अस्पताल में राज्य ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी यहां मरीज और उनके परिजन आते हैं। उम्मीद है 10 दिन के अंदर यह सुविधा बहाल हो जाएगी।
एनएमसीएच में तीन दिन में मिलेगी सुविधा
कोरोना से बचाव के लिए एनएमसीएच में सेनेटाइजिंग टनल लगाया गया है। इसे पूरी तरह तैयार होने में 3 दिनों का वक्त लग सकता है। अधीक्षक डॉ. निर्मल सिन्हा ने बताया कि इससे शरीर और कपड़े के ऊपरी हिस्से को ही संक्रमणमुक्त किया जा सकता है। राजेंद्रनगर सब्जी मंडी से शिफ्ट कर यहां टनल लगाया गया है।
मुंगेर एसपी ने शादी के स्प्रे फैन से बनवाई सेनेटाइजिंग मशीन, 200 लोगों पर खर्च सिर्फ 641
मुंगेर जिला पुलिस कार्यालय के विभिन्न विभागों के कर्मियों की सुरक्षा के लिए सेनेटाइजेशन जोन बनाया है। इससे गुजरने के साथ ही जवान विषाणु मुक्त हो जाएंगे। यह सेनेटाइजर यूनिट मात्र 641 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से 200 लोगों को सेनेटाइज्ड कर सकता है। एसपी लिपि सिंह ने बताया कि टेंट हाउस वालों से 200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दो स्प्रे फैन किराए पर लिए गए। जिसमें 30 लीटर पानी में दो किलो ब्लीचिंग, तीन लीटर स्पिरिट डाला गया है। जो एक घंटे तक लगातार चलने पर तकरीबन दाे सौ लोगों को सेनेटाइज्ड करेगा।
ऐसी सुविधा भीड़-भाड़ वाली सभी प्रमुख जगहों पर क्यों नहीं?
राजधानी के दो बड़े अस्पतालों में सेनेटाइजिंग टनल लग रहा है। यह सुकून भरी खबर है। अस्पतालों में सेनेटाइजिंग टनल लगेंगे तो मरीज से लेकर डॉक्टरों-नर्सों और स्वास्थ्य सेवा में लगे तमाम लोगों का मनोबल बढ़ेगा, उनमें सुरक्षा भाव पैदा होगा। ऐसा प्रबंध कम से कम उन सभी जगहों पर जरूरी है जहां-जहां कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज हो रहा है और संदिग्ध लोगों के नमूनों की जांच हो रही है।
साथ ही वैसे दफ्तरों में जहां अधिकारी-कर्मचारी इस महामारी को फैलने से रोकने में दिन-रात जुटे हैं। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर ऐसा इंतजाम लॉकडाउन खुलने के बाद होना चाहिए।
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