
काेराेना को हराने में एक ओर हमारे स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी और पुलिसकर्मी लगे हुए हैं, वहीं आम लोग भी इस वायरस को हराने में जुटे हैं। वायरस की चेन तोड़ने के लिए लॉकडाउन के दौरान जहां लोग अपने घरों में सिमटे हुए हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस अवधि में भी अपना खून देकर जरूरतमंदों की मदद पहुंचाने में लगे हैं। राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी के परियोजना निदेशक राजीव रंजन के अनुसार 22 मार्च से 7 अप्रैल के बीच कुल 4643 यूनिट रक्त का संग्रह होना अभूतपूर्व है। 4643 लोगों द्वारा रक्तदान करना झारखंड के लोगों के हौसले को दिखाता है।
उन्होंने बताया कि थैलेसिमिया के अलावा सिकल सेल, अप्लास्टिक एनेमिया, सैंसर, बर्निंग केस, डिलीवरी जैसे मामले में ब्लड की जरूरत हाेती है। इसके लिए लॉकडाउन के दौरान स्वैच्छिक रक्तदाता और विभिन्न संस्थाओं की मदद से 4643 यूनिट रक्त का संग्रह हुआ है। उन्होंने बताया कि राज्य में रक्त की उपलब्धता को दैनिक आधार पर राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद के साथ भी साझा किया जाता है। साथ ही आम लोगों से आगे आकर रक्तदान करने की अपील भी की है।
शव को छूने-नहलाने की सख्त मनाही, पास जाना भी जानलेवा
राज्य में अभी तक किसी कोरोना पीड़ित मरीज की मौत नहीं हुई है। हालांकि राज्य सरकार की ओर से गठित मेडिकल रिस्पांस मैनेजमेंट टास्क फोर्स की बैठक में संक्रमित मरीज की मृत्यु होने पर उसके शव के अंतिम संस्कार को लेकर गाइडलाइन जारी करने का निर्णय लिया गया है। इसके अनुसार आम लोगों को सख्त निर्देश है कि वे शव के चेहरे के अलावा कोई भाग नहीं देख सकते।
मृत शरीर को नहलाया नहीं जाएगा। गले लगाना या माथा चूमने की भी सख्त मनाही है। संक्रमित व्यक्ति के शव का पीपीई किट पहनकर पोस्टमार्टम करना है। पोस्टमार्टम के समय प्रयोग किए जाने वाले उपकरणों व औजारों को सही से भी संक्रमण मुक्त करना होगा।
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