
क्वारेंटाइन किए गए लोगों के घरों से निकलने वाले कचरे के निष्पादन के संबंध में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गाइडलाइन बना दी है, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। वहीं दूसरी ओर 26 मार्च को केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने भी पत्र जारी कर स्थानीय निकायों को क्वारेंटाइन घरों से निकलने वाले कचरे को निष्पादित कराने का जिम्मा दिया है।
हालांकि, 16 दिन बीतने के बाद भी नगर निगम ग्वालियर और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ग्वालियर के अधिकारी कचरे के निष्पादन के संबंध में कोई प्लान नहीं बना पाए। यह स्थिति तब है कि ग्वालियर में 1200 से अधिक घरों को क्वारेंटाइन किया गया है। जिसमें लगभग 4 हजार से अधिक लोगों को होम क्वारेंटाइन किया गया है।
औसतन 200 ग्राम बायोमेडिकल वेस्ट निकलता है क्वारेंटाइन घर से
क्वारेंटाइन घरों से निकलने वाले सिरिंज, मास्क, ग्लब्स, पीपीई किट और एक्सपायर्ड दवाओं को बायोमेडिकल वेस्ट की श्रेणी में मानते हुए एकत्रित किया जाएगा और फिर इंसीनरेटर के माध्यम से निष्पादित (850 डिग्री तापमान पर) किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार, प्रत्येक क्वारेंटाइन घर से प्रतिदिन 200 ग्राम बाॅयोमेडिकल वेस्ट उत्सर्जित होने का अनुमान है।
वर्तमान परिस्थितियों की बात करें तो इस समय 1200 से अधिक संख्या में क्वारेंटाइन घर हैं।
ऐसे में प्रतिदिन 240 किग्रा बायोमेडिकल वेस्ट क्वारेंटाइन घरों से निकल रहा है।
घरेलू कचरा उठाने की जिम्मेदारी प्रदूषण बोर्ड की नहीं, निगम की
निगम की मंशा क्वारेंटाइन घरों से निकलने वाले सभी प्रकार के कचरे को इंसीनरेटर के माध्यम से निष्पादित कराने की है, जबकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जो गाइडलाइन बनाई हैं, उसमें स्पष्ट किया है कि क्वारेंटाइन घरों से निकलने वाली सिरिंज, एक्सपायर्ड दवाएं, मास्क, ग्लब्स और पेशाब की थैली समेत अन्य बायोमेडिकल कचरे को इंसीनरेटर में निष्पादित किया जाएगा।
घरों से निकलने वाले सामान्य कचरे को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016 के अंतर्गत निष्पादित किया जाएगा। जिसकी जवाबदेही स्थानीय नगर निगम की रहती है। इन नियमों की प्रति निगम के अधिकारियों को भेज दी गई है। जल्द ही इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा।
-जैसा एनपी सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भास्कर को बताया।
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