
काेराेना वायरस महामारी काे लेकर राज्य सरकार ने झारखंड हाईकाेर्ट में शपथ पत्र दायर किया। मंगलवार काे चीफ जस्टिस डाॅ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने वीडियाे कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की।
इस दाैरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने खंडपीठ से कहा कि काेराेना वायरस से लड़ने के लिए राज्य काे जरूरत के हिसाब से मेडिकल उपकरण नहीं मिला है। जबकि केंद्र सरकार काे जरूरत की चीजाें के बारे में बता दिया गया है। फिर भी केंद्र सरकार की ओर से झारखंड काे मदद नहीं मिल रही है।
अब ऐसे में काेराेेना वायरस की जांच नहीं हाे पा रही है, जबकि बाहर से 1.69 लाख लाेग झारखंड में आए है। इसमें 1.45 लाख लाेगाें काे हाेम क्वारेंटाइन किया गया है।
वहीं, 14 हजार लोगों को क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया है। राज्य में 75 हजार पर्सनल प्रोटेक्टिव इंक्विपमेंट, यानि पीपीई की जरूरत है। वही 10 हजार टेस्टिंग किट और 300 वेंटिलेटर की मांग की है। जाे अभी तक नहीं मिला है।
अब ऐसे में इनकार नहीं किया जा सकता है कि आने वाले समय में झारखंड में काेराेना वायरस के मरीज नहीं मिलेंगे। इसकी संख्या बढ़ सकती है। जरूरत की चीजें नहीं मिलने पर सरकार कैसे काम करेंगी। इस पर चीफ जस्टिस डाॅ रवि रंजन ने असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल राजीव सिन्हा से पूछा ताे उन्हाेंने काेर्ट से कहा कि केंद्र सरकार जरूरत के हिसाब से सभी राज्याें काे मेडिकल उपकरण दे रही है। जिस राज्य में काेराेना वायरस से जुड़े मामले जितने अधिक है। उसी हिसाब से केंद्र सरकार सभी राज्याें काे मदद कर रही है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल से कहा कि केंद्र सरकार से राज्य सरकार काे जाे भी मदद चाहिए दिलाया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल काे हाेगी।
सैंपल लेने की किट तो रिम्स पहुंची लेकिन दूसरे दिन भी नहीं बन पाई आरटीपीसीआर मशीन
रिम्स में कोरोना के संक्रमित मरीजों की सैंपल जांच करने वाली दो आरटीपीसीआर मशीनों में से खराब हुई एक मशीन मंगलवार को भी नहीं बन पाई। मशीन रविवार से ही खराब पड़ी हुई है। जिसके कारण पहले की अपेक्षा बहुत कम सैंपल की जांच हो रही है। निदेशक डॉ डीके. सिंह ने कहा था कि सोमवार को इंजीनियर कोलकाता से आ जाएगा और मंगलवार तक मशीन काम करने लगेगी, मगर अब तक न इंजीनियर आया है और न ही मशीन ठीक हुई है। हालांकि, 500 एक्सट्रैक्शन किट आ गई है। जिससे माइक्रोबायोलॉजी विभाग में सैंपल जांच का काम चल रहा है।

पॉजिटिव महिला ने जहां डायलिसिस कराया, वहां के 26 मरीज-डाॅक्टर आइसोलेट, सबका सैंपल लिया गया
हिंदपीढ़ी से मिली दूसरी पाॅजिटिव महिला ने राजधानी के नेफ्रोन क्लीनिक सेंटर में डायलिसिस करवाया था। अब इस क्लीनिक में एक अप्रैल से 4 अप्रैल तक डायलिसिस कराने गए करीब 26 मरीजों के साथ डॉक्टर, नर्स और स्टाफ ने भी ट्रॉमा सेंटर में स्क्रीनिंग के बाद सैंपल जांच के लिए दिया। इसके बाद डायलिसिस के मरीजों को रिम्स के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया, जबकि क्लीनिक के नर्स, डॉक्टर और स्टाफ स्वयं नेफ्रॉन क्लीनिक में ही आइसोलेट हुए। रिपोर्ट 2 दिन के बाद आएगी। इस दौरान डॉ एके वैद्य ने भी खुद को घर में आइसोलेट किया।
बड़ा सवाल...महिला ने 3 अप्रैल को दिया सैंपल, तभी आइसोलेट क्यों नहीं किया
हिंदपीढ़ी की दूसरी संक्रमित महिला सैंपल देने के लिए 3 अप्रैल को रिम्स अाई थी। सवाल यह उठता है कि तभी रिम्स ने उसे आइसोलेट क्यों नहीं किया? उसे घर कैसे जाने दिया गया? रिम्स के चिकित्सकों का कहना है कि महिला को डायलिसिस करवाना था। स्क्रीनिंग के दौरान कोई लक्षण नहीं दिखा था। इसलिए उसे घर जाने दे दिया गया।
हर निमोनिया व श्वसन रोग के मरीज की होगी कोरोना जांच
निमोनिया औरश्वसन संबंधी बीमारियों के अलावा अन्य मृत्यु पर भी सतत निगरानी रखी जाएगी। सभी जिलों के डीसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य तथा उप स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले 50 घरों का प्रतिदिन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा निरीक्षण कराएंगे। इसमें हर जिले में सहियाओं को भी इस काम में लगाया जाएगा। कठिन क्षेत्रों में प्रतिदिन 30 घरों का निरीक्षण किया जाएगा। श्वसन संबंधी बीमारी के लक्षण मिलने पर मरीज व परिवार को सूचीबद्ध कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अथवा जिला अस्पताल के रेस्पिरेटरी ओपीडी में जांच के लिए लाया जाना है। इनकी जांच होगी और तब तक इन्हें आइसोलेशन में ही रखना होगा। किसी भी मरीज की मौत पर सूचना चिकित्सा पदाधिकारी को दी जाएगी।
संथाल परगना व पलामू प्रमंडल बिहार-बंगाल से सटे...मगर यहां 100-100 टेस्ट भी नहीं
(पवन कुमार)झारखंड में कोरोना संदिग्धों की टेस्टिंग की रणनीति शुरू से ही सवालों के घेरे में रही है। अन्य राज्यों के मुकाबले यहां सैंपल बहुत कम लिए जा रहे हैं। 7 अप्रैल तक राज्य में सिर्फ 1111 ही टेस्ट हुए थे, यानी एक माह में बमुश्किल एक हजार टेस्ट हो पाए।जबकि इसी अवधि में राजस्थान ने 14274 और महाराष्ट्र 16 हजार से ज्यादा टेस्ट कर चुका है। झारखंड में जांच किट व पीपीई की कमी बहुत बड़ी चुनौती बन गई है। राज्य में करीब 1.50 लाख लोग क्वारेंटाइन में रखे गए हैं। इन सभी की जांच होनी चाहिए, मगर स्थिति ये है कि अब तक बिहार-बंगाल से सटे संथाल परगना और पलामू प्रमंडलों से कुल 100-100 टेस्ट भी नहीं हुए हैं।
छोटा नागपुर प्रमंडल में मिले दो केस
इन प्रमंडलों से कोई मामला भी सामने नहीं आ पाया है। सबसे ज्यादा टेस्ट दक्षिणी छोटा नागपुर प्रमंडल से हुए हैं, जहां रांची में दो केस मिले हैं। इसके बाद उत्तरी छोटा नागपुर प्रमंडल का स्थान है, यहां भी दो केस मिले हैं। रांची में सिर्फ हिंदपीढ़ी में ही दो केस मिलने से इस बात के संकेत मिलते हैं कि राज्य में कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है। इसे काबू में करने के लिए तुरंत टेस्टिंग की क्षमता बढ़ाया जाना बहुत जरूरी है।
टेस्टिंग क्षमता बढ़ा रहे हैं: नितिन मदन कुलकर्णी
टेस्टिंग कैपिसिटी बढ़ायी जा रही है। राज्य में कोरोना वायरस की जांच के आठ मशीन लगाई गई है। जल्द ही सब फंक्शनल हो जाएगी। दूसरी बीमारी से मौत के मामलों की भी जांच के निर्देश दिए गए हैं। -नितिन मदन कुलकर्णी, प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग
अधिक सतर्कता की जरूरत : डॉ. डीके सिंह
झारखंड में चार पॉजिटिव केस आए हैं। मगर ये संख्या कभी भी बढ़ सकती है। अभी और सतर्कता कि आवश्यकता है। गांव में लोग बाहर से आ रहे हैं, इनमें जरा भी लक्षण दिखे तो उन्हें तुरंत क्वारेंटाइन किया जाए। -डॉ. डीके सिंह, निदेशक, रिम्स
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